
चीन में सत्ता परिवर्तन की आहट? Xi Jinping के हालिया कदमों से अटकलें तेज
बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अब तक एक आजीवन नेता के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों से यह संकेत मिल रहे हैं कि चीन के सत्ता-गलियारे में कुछ बड़ा बदलाव हो सकता है। दरअसल शी जिनपिंग ने अपने 12 साल लंबे शासनकाल में पहली बार सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के विभिन्न निकायों को अहम अधिकार सौंपने शुरू कर दिए हैं, जिससे उनके संगठित तरीके से सत्ता हस्तांतरण की अटकलें तेज हो गई हैं। जानकारी अनुसार शी जिनपिंग की अध्यक्षता में 30 जून को पार्टी के शक्तिशाली 24 सदस्यीय पोलितब्यूरो की बैठक हुई, जिसमें पार्टी के कार्य संचालन से जुड़े नए नियमों की समीक्षा की गई। इन नियमों के जरिए पार्टी के निर्णय लेने वाले निकायों को अधिक अधिकार और स्वतंत्रता देने की बात कही गई है। माना जा रहा है कि यह कदम शी के संभावित रिटायरमेंट की तैयारियों का हिस्सा हो सकता है। क्या 2027 से पहले होगा बड़ा बदलाव? शी जिनपिंग का मौजूदा कार्यकाल 2027 में खत्म हो रहा है। इसी वर्ष सीपीसी की अगली कांग्रेस भी प्रस्तावित है, जहां पार्टी नेतृत्व और भविष्य की दिशा तय की जाएगी। कई विश्लेषकों का मानना है कि इस कांग्रेस के पहले या उसके दौरान शी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। सत्ता के बंटवारे के क्या हैं संकेत? शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लिया, जो उनके राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार हुआ। प्रधानमंत्री ली कियांग ने शिखर सम्मेलन में चीन का नेतृत्व किया, जिसे नेतृत्व बदलाव के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
हालिया महीनों में सीपीसी के अंदर गुप्त सत्ता संघर्ष और शी के सेवानिवृत्ति की तैयारियों की चर्चाएं विदेशों में तेज हुई हैं। कई चुनौतियों से जूझ रही है चीनी अर्थव्यवस्था शी जिनपिंग का यह संभावित बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जबकि चीन की अर्थव्यवस्था गहरे संकट से गुजर रही है। अमेरिकी टैरिफ युद्ध, आवास बाजार का पतन, महामारी की गलत नीतियों और कॉरपोरेट क्षेत्र पर कड़े नियंत्रणों ने चीन की विकास दर को प्रभावित किया है। जानकारों के अनुसार, शी जिनपिंग अब नीतिगत दिशा तय करने पर फोकस करना चाहते हैं, न कि रोज़मर्रा के प्रशासनिक मामलों पर। पार्टी में अब भी मजबूत पकड़ हालांकि, शी जिनपिंग अब भी पार्टी, राष्ट्रपति पद और सैन्य आयोग के प्रमुख के रूप में सत्ता के तीनों स्तंभों पर नियंत्रण रखते हैं। उनके सत्ता में आने के बाद हुए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान और सेना में सख्त कार्रवाई ने उन्हें कोर लीडर का दर्जा दिलाया, जो माओत्से तुंग के बाद किसी नेता को नहीं मिला था। बहरहाल शी जिनपिंग की ओर से शक्तियों के वितरण की प्रक्रिया को जहां कुछ विशेषज्ञ शासन में व्यावहारिक सुधार मान रहे हैं, वहीं अन्य इसे उनकी संभावित विदाई की तैयारी के रूप में देख रहे हैं। बावजूद इसके 2027 की सीपीसी कांग्रेस इस दिशा में अहम साबित हो सकती है, जो तय करेगी कि शी अपने पद पर बने रहेंगे या सत्ता का हस्तांतरण करेंगे।
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