Putin ने नाटो देशों की नाक में नकेल डाल रखी...अब आर्कटिक पर नया मोर्चा खोलने की तैयारी
मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने दम पर नाटो देशों के नाक में नकेल डाल रखी है। नाटो देश यूक्रेन युद्ध हारने के काफी करीब पहुंच चुके हैं, जबकि रूस ने आर्कटिक को नया मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। उत्तरी प्रशांत महासागर में रूस ने परमाणु पनडुब्बियों से सुपरसोनिक मिसाइल का कामयाब टेस्ट करके नाटो देशों को संकेत दे दिया है कि उसने 12 अगस्त 2000 की कुर्स्क त्रासदी से कड़वे सबक सीखे हैं। रूस के लिए वहां एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था जब आर्कटिक सर्कल के अंदर एक नौसैनिक अभ्यास के दौरान, रूसी परमाणु पनडुब्बी कुर्स्क, सभी सवारों के साथ बैरेंट्स सागर में डूब गई। ऑस्कर सेंकड क्लास की उस पनडुब्बी पर सवार पूरे 118 चालक दल के सदस्य मारे गए थे। उस भीषण हादसे ने रूस को अपनी नौसैनिक सुरक्षा संस्कृति, बचाव तैयारी और प्रशिक्षण से जुड़ी मानवीय लागतों पर फिर से सोचने के लिए मजबूर किया। जिसके बाद पिछले कुछ सालों में रूस ने अपनी ऑस्कर-सेंकड पनडुब्बियों की समुद्री अवरोधन क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ उनके हथियारों और उनके सिस्टम को अत्याधुनिक बनाने पर काम किया है। इसकारण रूस, बार-बार अमेरिका और सहयोगी देशों के काफी करीब अपने पनडुब्बी अभियानों और मिसाइलों का टेस्ट करता है और अपनी ताकत का प्रदर्शन करता है।
रूस ने इसी महीने अपनी पैसिफिक फ्लीट की ऑस्कर-सेंकड क्लास की परमाणु पनडुब्बी ओम्स्क से पी-700 ग्रेनिट सुपरसोनिक एंटी-शिप क्रूज मिसाइल का कामयाब टेस्ट किया है। यह मिसाइल 2.5 मैक की स्पीड से 250 किलोमीटर दूर नौसैनिक लक्ष्य पर दागी गई थी। अभ्यास के दौरान यासेन-एम क्लास की क्रास्नोयार्स्क पनडुब्बी ने दो पी-800 “ओनिक्स” मिसाइलें भी दागीं। इसने भी हाईस्पीड से अपने लक्ष्य को तबाह कर दिया। टेस्ट के बाद रूस की नौसेना ने साफ कर दिया है कि ये अभ्यास, उत्तरी प्रशांत महासागर और कामचटका-चुकोटका तट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं। रिपोर्ट में सीनियर डिफेंस जानकार प्रकाश नंदा ने लिखा है कि पी-700 ग्रेनिट ऑस्कर-सेंकड जहाजों का प्रमुख हथियार है, और हाल के वर्षों में राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में रूस ने ओनिक्स और जिरकॉन जैसी आधुनिक मिसाइल सिस्टम को अपने पुराने जहाजों में इंटीग्रेट किया है, इससे रूसी नौसेना की मार करने की क्षमता में जबरदस्त इजाफा होता है। दिलचस्प ये है कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बावजूद, रूस सुदूर पूर्व और आर्कटिक, दोनों क्षेत्रों में अपनी मजबूत सैन्य उपस्थिति बनाए हुए है। दरअसल, 21 अगस्त को रूस और चीन ने कथित तौर पर अलास्का में 19 अगस्त को हुए अमेरिकी नॉर्दर्न एज 2025 के जवाब में संयुक्त सागर 2025 नामक अभ्यास किया था। अमेरिका ने इस सैन्य अभ्यास के लिए 6,400 सैनिकों, 100 विमानों और सात अमेरिकी और कनाडाई जहाज तैनात किए थे, जिसमें एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस अब्राहम लिंकन और तीन विध्वंसक जहाज भी शामिल थे।
जिसके अगस्त महीने के आखिर में रूस ने भी अलास्का के करीब सुदूर पूर्व क्षेत्र में युद्धपोत तैनात कर दिए और उसने इसे देशभक्तिपूर्ण मिशन बताया था, जहां अमेरिकी और कनाडाई विमानों और जहाजों ने अपना अभियान चलाया था। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की स्ट्रैटजी सिर्फ सैन्य शक्ति को बढ़ाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पिघलती बर्फ और नए समुद्री रास्तों के खुलने पर काफी गहरी नजर बनाए हुआ है। आर्कटिक में बर्फ पिघलने से उत्तरी समुद्री मार्ग का महत्व बढ़ गया है। यह रास्ता एशिया से यूरोप तक की दूरी को करीब करीब 40 प्रतिशत तक कम कर देता है। इसी तरह, टोक्यो से हैम्बर्ग तक की यात्रा 48 दिन की बजाय सिर्फ 35 दिन में पूरी की जा सकती है। इसकारण रूस ने आर्कटिक तट पर बंदरगाह, टर्मिनल और आइसब्रेकर बेड़े का निर्माण किया है ताकि तेल, एलएनजी और अन्य संसाधनों का निर्यात किया जा सके। जिसकी वजह से नाटों देशों के साथ उसका टकराव बढ़ता जा रहा है और भविष्य में इस क्षेत्र के नये जंग का मैदान बनने की संभावना भी बढ़ती जा रही है।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!