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  • Monday, 08 December 2025
Trump ने सऊदी अरब को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचने की घोषणा की

Trump ने सऊदी अरब को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचने की घोषणा की

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को घोषणा की कि वे सऊदी अरब को दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमान एफ-35 बेचेंगे। यह घोषणा सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की सात वर्षों में पहली वॉशिंगटन यात्रा से ठीक एक दिन पहले आई है। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, हम एफ-35 बेचेंगे। सऊदी हमारे लिए महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं। प्रिंस की यात्रा मंगलवार को होनी है, जहां दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों, सुरक्षा और निवेश पर चर्चा करेंगे। जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह सऊदी अरब को ये विमान बेचेंगे तो उन्होंने कहा, मैं कहूंगा कि हम ऐसा करेंगे। हम एफ-35 बेचेंगे। उन्होंने कहा, वे हमारे लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं। यह सात वर्षों से अधिक समय में क्राउन प्रिंस की पहली अमेरिका यात्रा होगी इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वह अपनी इच्छाओं और मांगों की एक सूची लेकर आएंगे, जिसमें ट्रंप से अपने देश के लिए अमेरिकी सैन्य सुरक्षा के दायरे को परिभाषित करने का औपचारिक आश्वासन हो सकता है। साथ ही अमेरिका में निर्मित दुनिया के सबसे उन्नत विमानों में से एक एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता शामिल है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने चिंता जताई है कि एफ-35 की बिक्री से इजरायल की क्षेत्रीय सैन्य श्रेष्ठता प्रभावित हो सकती है।

इजरायल फिलहाल मध्य पूर्व में एफ-35 का एकमात्र संचालक है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप अपनी गाजा शांति योजना के लिए इजरायल के समर्थन पर निर्भर हैं, इसलिए यह सौदा जटिल है। एक बड़ी चिंता यह भी है कि सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात के चीन से घनिष्ठ संबंधों के कारण एफ-35 की उन्नत तकनीक चीनी हाथों में पहुंच सकती है। पहले यूएई को एफ-35 बेचने का सौदा इसी वजह से रुका था।फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के वरिष्ठ निदेशक ब्रैडली बोमन ने कहा, ट्रंप को स्पष्ट करना चाहिए कि सऊदी-इजरायल संबंध सामान्य होने तक पहला एफ-35 नहीं दिया जाएगा। अन्यथा यह उनकी स्थिति कमजोर करेगा। ट्रंप सऊदी को इजरायल से संबंध सामान्य करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अब्राहम समझौतों का विस्तार होगा। प्रिंस की यात्रा में अमेरिकी सैन्य सुरक्षा गारंटी और बड़े निवेश सौदों की भी उम्मीद है।यह घोषणा मध्य पूर्व में सैन्य संतुलन बदल सकती है, लेकिन इजरायल और चीन संबंधी आशंकाएं बरकरार हैं।

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