Afghanistan में आए भूकंप के बाद भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ, सहायता भेजी
अब तक 20 की मौत, 500 घायल, नीली मस्जिद को हुआ नुकसान
काबुल। रविवार देर रात अफगानिस्तान को 6.3 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने हिला डाला। बल्ख, समांगन और बगलान प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है यहां अब तक 20 लोगों की जान चली गई जबकि, 500 से अधिक घायल हुए हैं। भारत ने सबसे पहले सहायता भेजी और अफगानिस्तान में राहत कार्य शुरु किया है। गौरतलब है कि भूकंप का केंद्र मजार-ए-शरीफ से महज 28 किमी गहराई में था, जिसके झटके काबुल तक गूंजे। सदियों पुरानी ‘ब्लू मॉस्क’ (नीली मस्जिद) हजरत अली की दरगाह की दीवारों को भी नुकसान हुआ है। अधिकारियों का दावा है कि मुख्य संरचना पूरी तरह सुरक्षित है। अफगानिस्तान भूकंप की मार से कराह रहा है। अगस्त 2025 में 6.0 तीव्रता के झटके में 2,200 से ज्यादा मौतें। 2023 में हेरात में 4,000 से अधिक जिंदगियां लील गईं। पहाड़ी इलाका, कमजोर इमारतें हर बार तबाही दोगुनी। इस बार नीली मस्जिद का नुकसान सांस्कृतिक घाव भी है, जहां लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। बचाव जारी, राहत की रेस लगी है। लेकिन सवाल वही कब रुकेगा यह प्राकृतिक प्रकोप? दुनिया की नजरें अफगानिस्तान पर टिकी हैं।
तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने तुरंत राहत एवं बचाव दल रवाना किए। मलबे में फंसे लोगों को निकालने का सिलसिला जारी है। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक्स पर लिखा, सरकार राहत पहुंचाने में जुटी है। जनहानि पर गहरा दुख है। बल्ख-समांगन में घर ढह गए, सड़कें टूट गईं। काबुल-मजार हाईवे पर भूस्खलन से यातायात ठप, बाद में बहाल हुआ। भारत ने फिर बढ़ाया मदद का हाथ! संकट की इस घड़ी में भारत ने पड़ोसी धर्म निभाया। एमईए प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर तस्वीरें शेयर कर बताया—भारत ने भोजन सामग्री भेजी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगान समकक्ष अमीर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की। संवेदना जताते हुए कहा, “आज राहत सौंपी, जल्द दवाइयां भेजी जाएंगी।” दो ट्रकों का काफिला उत्तरी अफगानिस्तान पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र की टीमें भी ग्राउंड जीरो पर—स्थिति का जायजा ले रही हैं, मदद बांट रही हैं।
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