अजेय माने जाने वाले असद, परिवार सहित Russia की शरण में
दमिश्क। सीरिया एक नए अध्याय में प्रवेश कर चुका है। बशर अल-असद, जिनकी सत्ता कभी अजेय मानी जाती थी, अब अपने परिवार के साथ देश छोड़ मास्को में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। विद्रोही गुटों ने उनकी सरकार को उखाड़ फेंका है, और सीरिया अब पूरी तरह विद्रोहियों के नियंत्रण में है। इस घटना ने न केवल सीरिया, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट की राजनीति को हिला कर रख दिया है। विद्रोही संगठनों में हयात तहरीर अल-शम (एचटीसी) सबसे प्रभावशाली गुट रहा है। एचटीसी कभी अल-कायदा का सहयोगी संगठन था, लेकिन 2016 में इसने खुद को अलग घोषित कर दिया। सीरिया में 2011 से विद्रोह की शुरुआत हुई थी, जब अरब स्प्रिंग ने पूरे मिडिल ईस्ट को अपनी चपेट में लिया था। इस आंदोलन ने लोकतंत्र और मानवाधिकारों की मांग को लेकर कई देशों में विद्रोह की चिंगारी भड़काई। लेकिन सीरिया में यह चिंगारी गृहयुद्ध में बदल गई। असद को रूस और ईरान का समर्थन मिलता रहा, जबकि विद्रोहियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों का सहयोग प्राप्त था। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका, जिसने अल-कायदा के खिलाफ अफगानिस्तान में लंबी लड़ाई लड़ी और ओसामा बिन लादेन को खत्म किया, उसी के पूर्व सहयोगी एचटीसी का इस्तेमाल सीरिया में असद के खिलाफ किया।
हाल के महीनों में, मिडिल ईस्ट की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले। इज़राइल पर हमास के हमलों और उसके काउंटर अटैक ने क्षेत्र की स्थिरता को और कमजोर किया। उधर, यूक्रेन युद्ध में उलझे रूस की आर्थिक और सैन्य स्थिति कमजोर होने लगी, जिससे असद को मिलने वाला सहयोग भी घट गया। इसका फायदा उठाते हुए विद्रोही संगठनों ने असद सरकार पर निर्णायक हमला किया और सत्ता पर कब्जा कर लिया। इस संघर्ष में लाखों लोगों की जान गई और सीरिया पूरी तरह तबाह हो गया। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने लोकतंत्र और मानवाधिकारों के नाम पर विद्रोहियों को समर्थन दिया, लेकिन इस समर्थन ने सीरिया को युद्ध की आग में और गहरा धकेल दिया। अब, जब असद सत्ता से बाहर हैं, सवाल यह है कि क्या यह बदलाव सीरिया में स्थिरता ला पाएगा, या देश एक और अराजकता के दौर में प्रवेश करेगा?
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