विदेश मंत्री Jaishankar ने ग्लोबल साउथ की आवाज मजबूत करने के साथ ही वैश्विक चुनौतियों के समाधान की रखी रणनीति
न्यूयार्क। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ग्लोबल साउथ देशों को अपनी क्षमताओं का बेहतर उपयोग करने और उभरती वैश्विक चुनौतियों का समाधान सामूहिक रूप से खोजने की रणनीति पेश की। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर आयोजित समान विचारधारा वाले ग्लोबल साउथ देशों की उच्चस्तरीय बैठक में उन्होंने बहुआयामी दृष्टिकोण पर जोर दिया। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल साउथ देशों को राजनीति, कूटनीति, विकास और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। बैठक में 18 देशों ने हिस्सा लिया, जिनमें सिंगापुर, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, क्यूबा, चाड, जमैका, वियतनाम, मॉरीशस और मोरक्को जैसे देश शामिल थे। भारत की यह पहल ‘ग्लोबल साउथ की आवाज’ को मजबूत करने की उसकी रणनीति का हिस्सा है। मालदीव के विदेश मंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ की असली ताकत उसकी एकता और सामूहिक कार्रवाई में है।
उन्होंने समावेशी और टिकाऊ विकास पथ को आगे बढ़ाने के लिए साझेदारी की प्रतिबद्धता जताई। जयशंकर ने सुझाव दिया कि ये देश एक-दूसरे की उपलब्धियों और अनुभवों से लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने वैक्सीन उत्पादन, डिजिटल क्षमताओं, शिक्षा, कृषि पद्धतियों और लघु एवं मध्यम उद्योगों जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं गिनाईं। भविष्य की दिशा बताते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इन देशों को उभरती प्रौद्योगिकियों, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के अवसरों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों में सुधार के लिए मिलकर प्रयास करने का भी आह्वान किया। जयशंकर ने कहा कि मौजूदा मंचों का उपयोग कर देशों के बीच एकजुटता बनाई जा सकती है और यही ग्लोबल साउथ की सामूहिक ताकत को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा।
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