
सेक्युलर शपथ लेने वालों को सेना से बाहर कर दूंगा: Erdogan
इस्तांबुल। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एर्दोगन ने इजरायल के खिलाफ और गाजा के समर्थन में इस्लामिक देशों को एकजुट होने का आह्वान किया है। लेकिन हाल ही में उन्होंने तुर्की के निर्माता मुस्तफा कमाल पाशा के बारे में ऐसी बात बोली जिससे सब हैरान हैं। दरअसल नए नियुक्त लेफ्टिनेंटों के एक समूह ने अपनी तलवारें खींचीं और नारा लगाया, हम मुस्तफा कमाल के सैनिक हैं। बता दें कि यह नारा आधुनिक तुर्की के धर्मनिरपेक्ष संस्थापक मुस्तफा कमाल के संदर्भ में था। इसके बाद तुर्की के विभिन्न हलकों में चिंता पैदा हो गई। इसी पर एर्दोगन सेना के जवानों पर भड़क गए। एर्दोगन ने सवाल पूछते हुए कहा, ‘ये तलवारें किसके खिलाफ खींची जा रही हैं?’ एर्दोगन ने इस बात पर जोर दिया कि तुर्की सशस्त्र बलों को राजनीतिक शोषण का शिकार नहीं बनाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, हमें अपनी वीर सेना पर गर्व है और हम इसे कमतर नहीं आंकने देंगे। हाल ही में हुए ग्रेजुएशन सेरेमनी के दौरान कुछ लोगों ने अनुचित तरीके से तलवारें खींचीं और सेक्युलर शपथ लिया। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि इस कृत्य के पीछे कौन है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, उन्होंने कहा, हम अपनी सेना को कमजोर नहीं होने देंगे। एर्दोगन ने यह भी कहा कि जांच में जिम्मेदार लोगों की संलिप्तता को भी शामिल किया जाएगा, उन्होंने जोर देकर कहा, चाहे वे 30 लोग हों या 300 लोग, हमारी सेना में उनकी मौजूदगी अस्वीकार्य है। एर्दोगन के शासन में तुर्की अधिक स्पष्ट रूप से धार्मिक हो गया है, तथा उसने मूल केमालिस्ट गणराज्य की कुछ धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को त्याग दिया है। तुर्की की सेना ने पारंपरिक रूप से खुद को धर्मनिरपेक्षता की गारंटी देने वाला माना है, जिसके परिणामस्वरूप कई तख्तापलट हुए हैं। इसने 1960 और 1980 के बीच तीन बार सत्ता पर कब्ज़ा किया और 1997 में एक रूढ़िवादी सरकार को गिरा दिया। हालांकि 2016 में, एर्दोगन और उनके धार्मिक-रूढ़िवादी प्रशासन को उखाड़ फेंकने की कोशिश को नाकाम कर दिया गया और हज़ारों लोगों को सशस्त्र बलों, न्यायपालिका और अन्य सार्वजनिक संस्थानों से निकाल दिया गया।
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