अब महाविनाश की तरफ बढ़ रहा है Russia-Ukraine war! अंतरिक्ष से होगी तबाही की बरसात?
मॉस्को। रूस-यूक्रेन का युद्ध बीते 3 साल से चल रहा है। कोई किसी की बात मानने को तैयार नहीं है। चारों तरफ तबाही का मंजर दिखाई देता है। ये युद्ध कहीं महाविनाश की तरफ न बढ़ जाए इस आशंका को लेकर दुनिया डरी हुई है। लेकिन जिस तरह के हालात दिखाई दे रहे हैं उससे ये आशंका जताई जाने लगी है कि ये युद्ध अब महाविनाश की तरफ बढ़ रहा है, क्योंकि रूस के दो सैटेलाइट जर्मन सेना और अन्य एजेंसियों की ओर से इस्तेमाल होने वाले इंटेलसैट सैटेलाइट्स के करीब घूम रहे हैं। जो अंतरिक्ष से तबाही के संकेत दे रहे हैं। पिछले साल फ्रेंच स्टार्टअप अल्डोरिया ने आरोप लगाया था कि उसने एक रूसी सैटेलाइट को अचानक किसी दूसरे सैटेलाइट के पास आते देखा। वहीं अमेरिकी कंपनी स्लिंगशॉट एयरोस्पेस ने 2023 में कहा कि रूसी सैटेलाइट गैर-रूसी सैटेलाइट के पास जाकर अनफ्रेंडली व्यवहार कर रहा है। जर्मन गृह मंत्री अलेक्जेंडर डॉब्रिंट ने कहा कि रूस की आक्रामकता अब पृथ्वी के करीब भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि जर्मनी ड्रोन रक्षा प्रणाली विकसित करके अपनी क्षमता बढ़ा रहा है। डॉब्रिंट ने कहा, ‘हम यूरोप में ड्रोन से खतरे और उन्हें रोकने के उपायों की दौड़ में हैं।’ जर्मनी अब निवेश बढ़ाएगा ताकि इस तरह के खतरों को बचाया जा सके।
युद्ध में अब सबसे बड़ा खतरा यूरोप के लिए मंडरा रहा है। लगातार रूस के फाइटर जेट और ड्रोन नाटो देशों की सीमा में घुस रहे हैं। अब यह विवाद स्पेस तक पहुंचने लगा है। जर्मनी ने बड़ा आरोप लगाया है कि अंतरिक्ष में उसकी सैटेलाइटों को काम करने से रोका जा रहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री बॉरिस पिस्टोरियस ने रूसी अंतरिक्ष गतिविधियों पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि रूस के दो सैटेलाइट जर्मन सेना और अन्य एजेंसियों की ओर से इस्तेमाल होने वाले इंटेलसैट सैटेलाइट्स के करीब घूम रहे हैं। पिस्टोरिया ने कहा, ‘रूस और चीन की अंतरिक्ष में युद्ध क्षमता हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। वे सैटेलाइट ऑपरेशन में बाधा डाल सकते हैं। सैटेलाइट को पूरी तरह अंधा बना सकते हैं। चाहें तो उन्हें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जर्मनी की सेना रूस के सैटेलाइट्स को जैमिंग अटैक के जरिए ट्रैक कर रही है। इंटेलसैट एक अमेरिकी-लक्समबर्ग की कंपनी है, जो 50 से ज्यादा सैटेलाइटों का संचालन करती है। रूस के ये दो सैटेलाइट 2014 और 2023 में लॉन्च हुए थे। लंबे समय से इन पर आरोप लगता रहा है कि ये दूसरे सैटेलाइटों के पास जाकर उन्हें ट्रैक करते हैं और जानकारी हासिल करते हैं।
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