Dark Mode
  • Sunday, 02 November 2025
Munir की सेना पर भड़के पाकिस्तानी मौलाना बोले- एक और युद्ध नहीं झेल सकता पाकिस्तान

Munir की सेना पर भड़के पाकिस्तानी मौलाना बोले- एक और युद्ध नहीं झेल सकता पाकिस्तान

इस्लामाबाद। भले ही पाकिस्तान भारत को कितनी ही गीदड़ भभकी देता रहे लेकिन सच ये हैं पाकिस्तान भीतर से खोखला है। वो अब एक और युद्ध भारत से नहीं कर सकता। पाकिस्तान के जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने आसिम मुनीर की पाकिस्तानी सेना को जमकर कोसा है। बांग्लादेश और कारगिल युद्ध याद दिलाते हुए कहा कि हम एक और युद्ध नहीं झेल सकते। बता दें कि पाकिस्तान और उसके पड़ोसी देश अफगानिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। पिछले दिनों युद्ध जैसे हालात हो गए थे और पाकिस्तान ने तालिबान की धरती पर जमकर हवाई हमले किए। लेकिन अब पाकिस्तान के ही लोग इस युद्ध के खिलाफ आ गए हैं। सूत्रों के हवाले से बताया है कि अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तानी मिलिट्री के रवैये के बारे में बात करते हुए मौलाना ने कहा, पाकिस्तान एक और खुद से किया गया युद्ध नहीं झेल सकता। उसने पाकिस्तानी आर्मी को 1971 का बांग्लादेश युद्ध और 1999 का कारगिल युद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि वह परवेज मुशर्रफ और अन्य के लापरवाही वाले कारनामों की वजह से हुआ। इसकी वजह से दुनियाभर में पाकिस्तान की साख खराब हुई। सूत्रों की मानें तो मौलाना का कहना है कि पाकिस्तानी आर्मी को बॉर्डर पर लड़ने के बजाए खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवाद, आर्थिक गिरावट और गवर्नेंस की कमी को दूर करना चाहिए। मौलाना ने मुनीर की सेना की जमकर आलोचना की।

उसने कहा कि इस्लाम को किसी मुस्लिम पड़ोसी के खिलाफ गलत हमला पसंद नहीं है। वहीं, पाकिस्तान ने बताया कि उसकी अफगानिस्तान के साथ अगले दौर की वार्ता छह नवंबर को होगी और इस वार्ता से ‘सकारात्मक परिणाम’की उम्मीद जताई। अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान पड़ोसी देश के साथ तनाव नहीं बढ़ाना चाहता। कहा, पाकिस्तान मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल रहेगा और छह नवंबर की वार्ता के सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करता है। इस महीने की शुरुआत में एक संक्षिप्त संघर्ष के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुए युद्धविराम समझौते के बाद अगले दौर की वार्ता निर्धारित की गई थी। पहले दौर की वार्ता 18 और 19 अक्टूबर को दोहा में हुई थी, उसके बाद 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में दूसरी वार्ता हुई जो कई दिनों तक चली लेकिन सीमा पार आतंकवाद के प्रमुख मुद्दे पर बिना किसी सफलता के समाप्त हो गई।

Comment / Reply From

You May Also Like

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!