चीनी नौसेना से निपटने भारत की शरण में आए Quad Countries and France
- मलक्का से घेरेंगे सबमरीन और युद्धपोत, कंबोडिया के खिलाफ अंडमान से रचेंगे चक्रव्यूह
बीजिंग। क्वॉड देश और फ्रांस को डराने के लिए चीन ने भले ही अपने युद्धपोत हिंदमहासागर में उतार दिए हैं, लेकिन कंबोडिया के नेवल बेस को ध्वस्त करने के लिए भारत की ओर से अंडमान में विशालकाय व्यूह रचना तैयार कर ली है, ताकि ड्रेगन को तुरंत जवाब दिया जा सके। बताया जा रहा है कि चीनी ड्रैगन की नौसेना ने दक्षिण चीन सागर के बाद अब हिंद महासागर में भी पैर पसारना शुरू कर दिया है। चीन के महाविनाशक युद्धपोत और किलर पनडुब्बियां अब हिंद महासागर के चक्कर लगा रहे हैं। यही नहीं चीन ने हिंद महासागर के प्रवेश द्वार पर कंबोडिया में विशाल नेवल बेस बना लिया है। चीन की बढ़ती दादागिरी से निपटने के लिए अब क्वॉड देश और फ्रांस भारत की शरण में आ गए हैं। क्वॉड देश और फ्रांस अब अंडमान और निकोबार द्वीप को सैन्य किले के रूप में विकसित करने में भारत की मदद कर रहे हैं। दरअसल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मलक्का स्ट्रेट के पास स्थित हैं जो चीन की दुखती रग है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया से सटा मलक्का स्ट्रेट काफी संकरा है और इसी वजह से चीन की सबमरीन को ऊपर आने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
चीन की नौसेना को घेरने के लिए मलक्का स्ट्रेट सबसे मुफीद जगह बन गया है। यही वजह है कि चीन अक्सर खौफ में रहता है और यही वजह है कि उसे कंबोडिया में नौसैनिक अड्डा बनाना पड़ा है। दुनिया की फैक्ट्री चीन का अरबों डॉलर का व्यापार मलक्का स्ट्रेट के जरिए होता है। लेकिन चीन को हमेशा डर बना रहता है कि भारत और पश्चिमी देश उसे मलक्का स्ट्रेट में घेर सकते हैं। गौरतलब है कि अमेरिका का नेवल बेस डियागो गार्सिया भी हिंद महासागर में स्थित है। यहां परमाणु बॉम्बर से लेकर पनडुब्बियां तक तैनात रहती हैं। इसी मलक्का दुविधा से बचने के लिए चीन अब पाकिस्तान के रास्ते जमीनी रास्ता भी बना रहा है ताकि उसे अरब सागर तक सीधी पहुंच मिल जाए।
इधर भारत भी चीन की बढ़ती दादागिरी से निपटने के लिए अंडमान निकोबार में तीनों ही सेनाओं की कमान बना चुका है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में कुल 572 द्वीप हैं और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। इस महीने ही क्वॉड सदस्य देश जापान के मिसाइलों से लैस घातक डेस्ट्रायर समीदारे ने अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का दौरा किया था। इस दौरे का उद्देश्य अपने सहयोगी देशों के साथ दोस्ती बढ़ाना था।
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