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  • Wednesday, 24 December 2025
Trum को सीरिया के विद्रोही पसंद तो भारत को तालिबान, चर्चा में आए दोनों देश

Trum को सीरिया के विद्रोही पसंद तो भारत को तालिबान, चर्चा में आए दोनों देश

काबुल। इंटरनेशन डिप्लोमेसी में हित महत्वपूर्ण होते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह साबित कर दिया है। सीरिया जो कभी अमेरिका के लिए कट्टर दुश्मन था, ट्रंप आज के समय उसी पर मेहरबान हैं। ट्रंप ने सीरिया पर लगाए प्रतिबंधों को हटा दिया है। इसके अलावा सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा से मुलाकात की है, जो 14 साल के गृहयुद्ध और दशकों की कूटनीति में बड़ा बदलाव दिखाता है। इस सब के पीछे का लक्ष्य है कि अमेरिका मिडिल ईस्ट में अपने सबसे बड़े दुश्मन ईरान पर फोकस करना चाहता है। ऐसा ही अब कुछ भारत कर रहा है। भारत तालिबान के साथ संबंधों को बढ़ा रहा है। भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने गुरुवार को तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी से फोन पर बात की, जो भारत की ओर से तालिबान प्रशासन के साथ पहली मंत्रिस्तरीय बातचीत है। भारत की तालिबान के साथ बातचीत का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि नई दिल्ली ने अभी तक तालिबान प्रशासन को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। डॉ जयशंकर और मुत्तकी की बातचीत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की तालिबान की ओर से निंदा के बाद हुई। इस हमले को पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। तालिबान ने पाकिस्तानी मीडिया में भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने की कोशिशों को खारिज किया, जिसे जयशंकर ने सराहा है।

ट्रंप ने प्रतिबंध हटाने का फैसला तब लिया है, जब बशर असद को सत्ता से हटा दिया गया। ट्रंप ने सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल शरा से मुलाकात की और प्रतिबंध हटाने की घोषणा की, जिसके बाद सीरियाई मुद्रा में 60 प्रतिशत की उछाल आई। यह कदम न केवल आर्थिक राहत दे सकता है, बल्कि सीरिया को मुख्यधारा में फिर से शामिल होने का मौका भी देता है। भारत की तालिबान से बातचीत और अमेरिका की सीरिया नीति में एक समानता नजर आती है। दोनों देश अपने रणनीतिक हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं, भले ही इसके लिए पुराने विरोधियों से हाथ मिलाना पड़े। अमेरिका ने जिस शरा को पहले आतंकवादी माना था, उसे अब समर्थन दे रहा है, क्योंकि वह रूस और ईरान के प्रभाव को कम करना चाहता है। इसी तरह, भारत तालिबान से बात कर रहा है, ताकि पाकिस्तान के प्रभाव को संतुलित किया जा सके और अफगानिस्तान में अपने हितों को सुरक्षित रखा जाए। भारत के लिए तालिबान से बातचीत रणनीतिक रूप से जरूरी है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान का दखल कम हो और स्थिरता भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

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