इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण दो अक्टूबर को पड़ेगा
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा, आग के एक छल्ले के रुप आएगा नजर
वॉशिंगटन। इस साल हमें दो सूर्य ग्रहण देखने को मिलेंगे। पहला सूर्य ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण था, जो अमेरिका में अप्रैल महीने में देखा गया था। यह बेहद दुर्लभ नजारा था। वहीं अगले सूर्य ग्रहण का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। अगला सूर्य ग्रहण हमें 2 अक्टूबर को दिखाई देगा। लेकिन यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा। दो अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। आसमान में आग का एक छल्ला दिखाई देता है। इसका कारण यह है कि अंतरिक्ष में सूर्य स्थिर रहता है। वहीं पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है और इसके साथ चलते हुए सूर्य का चक्कर लगाता है। कई बार ऐसा होता है जब घूमते हुए चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तब यह कुछ क्षण के लिए सूर्य के प्रकाश को रोक देता है, जो सूर्य ग्रहण कहलाता है। इस दौरान इसकी परछाई धरती पर पड़ती है। चंद्रमा जब धरती का चक्कर लगाता है तो इस दौरान उसकी दूरी भी बदलती रहती है। कभी वह पृथ्वी के नजदीक होता है तो कभी दूर। जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है तब इसका आकार बड़ा दिखता है।
वहीं जब यह धरती से दूर होता है तो छोटा नजर आता है। सूर्य ग्रहण के दौरान अगर यह धरती के करीब होता है, तो आकार के कारण पृथ्वी से यह हमें सूर्य को पूरी तरह ढकता हुआ दिखाई देता है। लेकिन जब यह पृथ्वी से दूर होता है तो अपने छोटे आकार के कारण सूर्य के बीच के हिस्से को ही ढक पाता है। सूर्य का बाकी किनारा दिखाई देता है, जो आसमान में आग का छल्ले के रुप में नजर आता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण को एन्यूलर सोलर इकलिप्स कहा जाता है। 2 अक्टूबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका महाद्वीप और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। चंद्रमा इस दौरान सूर्य के 93 फीसदी हिस्से को कवर करेगा। आसमान में एक पूर्ण आग की रिंग 7 मिनट 25 सेकंड का होगा। अर्जेंटीना और चिली के कुछ जगहों पर इस सूर्य ग्रहण को देखा जा सकता है। महाद्वीप के बाकी हिस्सों में यह आंशिक रूप से दिखाई देगा।
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