Astronauts के स्वास्थ्य पर क्यों पड़ते है उलटे प्रभाव
- बीमारियां कर सकती हैं हमला
लंदन। क्या आप जानते हैं कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के साथ ही बाकी सभी एस्ट्रोनॉट्स जब अंतरिक्ष में होते हैं तो उनके स्वास्थ्य पर कई तरह के उलटे प्रभाव पड़ते हैं। उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर पड़ जाती है। इसके अलावा उनको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को झेलना पड़ता है। हालांकि, स्पेस में समय बिताने के बाद जब वे धरती पर लौटते हैं तो उनकी सेहत फिर से ठीक हो जाती है।नए शोध के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रा इंसानों के लिए एक मुश्किल अनुभव होता है।सबसे पहले कॉस्मिक विकिरण की बौछारों से एस्ट्रोनॉट्स का शरीर हिल जाता है।इसके बाद ज़ीरो ग्रैविटी शरीर में मौजूद तरल पदार्थों और इंसान के ब्लड प्रेशर में उथल-पुथल पैदा कर देती है।वहीं, ण्स्ट्रोनॉट्स को बहुत ही संकुचित यानी छोटी सी जगह में रहना पड़ा है।इससे उनके शरीर पर अलग ही तरह का पड़ता है।
एस्ट्रोनॉट्स को लंबे मानसिक दबाव के दौर से भी गुजरना पड़ता है।इस दौरान इस तनाव को कम करने के लिए उनके आसपास कोई होता भी नहीं है।इसमें दोस्तों और परिवार से दूर रहना भी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काफी असर डालता है।सबसे ज्यादा सेहतमंद लोगों को ही अंतरिक्ष यात्रा पर भेजा जाता है।उन्हें अंतरिक्ष के हालात में सहज रहने के लिए कई साल का सख्त और कड़ा प्रशिक्षण भी दिया जाता है।इसके बाद भी जब वे अंतरिक्ष में पहुंचते हैं तो उनकी सेहत जवाब दे देती है।अंतरिक्ष में उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं को झेलना पड़ता है।अब इन स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान होने के बाद चिकित्सा क्षेत्र में एक नई शाखा शुरू कर दी गई है।इसे स्पेस हेल्थ कहा जा रहा है।स्पेस हेल्थ रिसर्च के जरिये पता चल है कि अंतरिक्ष की कम और लंबी अवधि की उड़ानों से शरीर के हर तंत्र पर असर पड़ता है।इसमें हृदय, रक्त संचार, पाचन, मांसपेशियां, हड्डियों से जुड़े तंत्र और रोगप्रतिरोधी प्रणाली तक शामिल हैं।
नए शोध की रिपोर्ट कहती है कि अंतरिक्ष में ज़ीरो ग्रैविटी के कारण स्वास्थ्य की देखभाल करना बहुत ही मुश्किल काम बन जाता है।मान लीजिए कि अगर किसी एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष उड़ान के दौरान हार्ट अटैक पड़ जाए तो छाती पर दबाव देने में मददगार किसी ठोस और कड़ी जमीन के बिना सीपीआर देना नामुमकिन है।धरती पर सीपीआर फर्श पर लिटाकर दिया जाता है।वहीं, अंतरिक्ष में हर चीज तैरती है तो दबाव देकर हृदय की धड़कनें लौटाना करीब-करीब नामुमकिन हो जाता है।डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलोन मेडिकल कॉलेज के स्पेस हेल्थ रिसर्चर योखन हिंकेलबाइन का कहना है कि हर अंतरिक्ष यात्री के लिए स्पेस में सीपीआर देना बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी है।
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चांद के दक्षिणी हिस्से में लैंड कर इतिहास रच दिया। भारत चांद के इस हिस्से में उतरने में सफल रहने वाला पहले देश बन गया।लेकिन, कई दशक पहले ही अमेरिका ने चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारकर ऐसा काम कर दिया था, जिसे अब तक कोई देश नहीं दोहरा पाया है। हालांकि, अंतरिक्ष यात्रियों का स्पेस ट्रैवल करना जारी है।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!