ISKCON को लेकर बांग्लादेश में ही विवाद क्यों?
ढाका। अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) फिर चर्चा में है। इसकी वजह है बांग्लादेश में इसके सबसे प्रमुख चेहरे चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी। चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश पुलिस ने तब गिरफ्तार किया जब वे ढाका से चटगांव जा रहे थे। इस कार्रवाई ने हिंदू समुदाय में आक्रोश फैला दिया है। सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। भारत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का हिस्सा बताया है। साथ ही, शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर भी आपत्ति जाहिर की है। चिन्मय दास पर क्या हैं आरोप? चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा मुखर रहे हैं। उन पर बांग्लादेश सरकार के खिलाफ बोलने और अल्पसंख्यक अधिकारों की वकालत करने का आरोप है। आरोप है कि एक हिंदू रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया। क्या है इस्कॉन? इस्कॉन, जिसे हरे कृष्ण आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है, एक वैश्विक संस्था है। इसका उद्देश्य लोगों को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की ओर प्रेरित करना और भगवद्गीता का संदेश फैलाना है।
इसकी स्थापना स्वामी श्रील प्रभुपाद ने 11 जुलाई 1966 को की थी। इस्कान के दुनियाभर में 108 मंदिर हैं। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और यहां तक कि पाकिस्तान में भी इसके अनुयायी और मंदिर हैं। बांग्लादेश में इसके प्रमुख मंदिर ढाका, राजशाही, चटगांव, सिल्हट और रंगपुर में स्थित हैं। दरअसल बांग्लादेश में इस्कान का प्रभाव बढ़ रहा है। हिंदुओं के त्योहारों, खासकर जन्माष्टमी, में इस संस्था की सक्रियता काफी दिखाई देती है। यह न केवल धार्मिक गतिविधियों में भाग लेता है, बल्कि जरूरतमंदों को राशन जैसी सुविधाएं भी प्रदान करता है। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की आबादी तेजी से घटी है। 1971 में यह 20 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 9 प्रतिशत से भी कम हो गई है।
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